1857 का विद्रोह

1857 का विद्रोह की शुरुआत 10 मई को मानी जाती है यह विद्रोह उत्तर प्रदेश के मेरठ से प्रारंभ हुई | 1857 भारत का पहला स्वतंत्रा संग्राम था |1857 का विद्रोह के समय भारत के गवर्नर जनरल लॉर्ड कैनिंग थे | इस समय इंग्लैंड के प्रधानमंत्री और लॉड पामस्टर्न था | जबकि विपक्षी दल का नेता डिज़राईली था | वैसे तो 1857 का विद्रोह के कई कारण थे| जैसे की –

  1. आर्थिक कारण,
  2. सैनिक कारण,
  3. राजनीतिक कारण,
  4. सामाजिक कारण
  5. धार्मिक कारण etc

1857 का विद्रोह के तत्कालीन कारण

1857 के विद्रोह का तत्कालीन कारण चर्बी युक्त कारतूस का शामिल होना था | अंग्रेजी कंपनी ने दिसंबर 1856 में ब्राउन वेस राइफल के जगह एनफील्ड राइफल को शामिल किया | इस राइफल को चलाने हेतु प्रशिक्षण दमदम (बंगाल में ), अंबाला (पंजाब में) और सियालकोट (पाकिस्तान में ) दिया जाता था | एनफील्ड राइफल में कारतूस भरने से पहले उसके खोल को मुंह से खोलना होता था कारतूस के ऊपरी खोल के विषय में यह अफवाह फैली कि इसमें गाय और सुअर की चर्बी मिली हुई थी जो हिंदू और मुसलमान दोनों के लिए सही नहीं था | जब इस बात की खबर बंगाल के बैरकपुर के 34 नेटिव इन्फेंट्री के सिपाही मंगल पांडे को लगी तो उन्होंने एनफील्ड राइफल को प्रयोग में लाने से इंकार कर दिया और अपने बड़े अधिकारी जनरल ह्यूरसन तथा जनरल बाग़ की हत्या 29 मार्च 1857 दी | इसी कारण मंगल पांडे को पकड़कर 8 अप्रैल 1857 को फांसी पर चढ़ा दिया गया | 1857 का विद्रोह में शहीद होने वाले प्रथम नेता मंगल पांडे थे 1857 का विद्रोह के शुरू होने से पहले ही शहीद हो गए |

  1. 1857 का विद्रोह के आर्थिक कारण – ब्रिटिश सरकार के द्वारा कई प्रकार के आर्थिक नीति जैसे कि स्थाई बंदोबस्त, रैयतवाडी व्यवस्था, महालवाड़ी व्यवस्था लागू किए गए इन सभी व्यवस्थाओं के अंतर्गत अंग्रेजी सरकार ने भारतीयों का शोषण किया |
  2. 1857 का विद्रोह सैनिक कारण – ब्रिटिश सरकार के द्वारा कई प्रकार के आर्थिक नीति जैसे कि स्थाई बंदोबस्त, रैयतवाडी व्यवस्था, महालवाड़ी व्यवस्था लागू किए गए इन सभी व्यवस्थाओं के अंतर्गत अंग्रेजी सरकार ने भारतीयों का शोषण किया |
  3. 1857 का राजनीतिक कारण – रॉबर्ट क्लाइव द्वारा लागू किया गया द्वैध शासन व्यवस्था जिसमें भारत के बड़े-बड़े आकाल को जन्म दिया और वारेन हेस्टिंग एव लार्ड कर्नलविस की आक्रामक नीति , लॉर्ड वेलेजली की सहायक संधि, लॉर्ड हेस्टिंग्स की फॉरेन पॉलिसी नीति, लॉर्ड डलहौजी हड़प नीति etc
  4. सामाजिक और धार्मिक कारण – लॉर्ड विलियम बेनटिंग के द्वारा समाप्त किया गया सती प्रथा और ठगी प्रथा, लोड कैनिंग के द्वारा पारित किया गया हिंदू विधवा पुनर्विवाह अधिनियम, लॉर्ड डलहौजी ने 1849 ईस्वी में यह घोषणा किया कि बहादुर शाह जफर का उत्तराधिकारी लाल किला के बजाय कुतुब मीनार जैसे स्थान में रहेंगे, लॉर्ड डलहौजी ने 1857 में धार्मिक अयोग्य अधिनियम पास किया, लॉड केनिंग ने 1856 में सैनिक अधिनियम पास किया, लॉर्ड कैनिंग 1 856 ईस्वी में यह घोषणा किया कि बहादुर शाह जफर के उत्तराधिकारी बादशाह नहीं कहलायेंगे बल्कि राजा या सहजादा कहलायेंगे |

प्रसार और नेतृत्वकर्ता-

संपूर्ण भारत में 1857 का विद्रोह का प्रभावित नहीं किया था बल्कि भारत के कुछ हिस्सा जैसे कि मध्य भारत, उत्तर भारत प्रभावित था

  • दिल्ली– दिल्ली क्षेत्र में इस विद्रोह की शुरुआत 12 मई 1857 से मानी जाती है इस क्षेत्र में नेतृत्वकर्ता मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर था जबकि सेना का नेतृत्व वक्त खा के द्वारा किया गया था 1857 का विद्रोह में दिल्ली के क्षेत्र में विद्रोह को दबाने हेतु निकोलसन तथा हडसन को भेजा गया जिसमें विद्रोह को दबाते हुए निकोलसन मारा गया जबकि वॉटसन ने सितंबर 1857 आते-आते विद्रोह को दबा दिया |
  • अवध और लखनऊ – अवध और लखनऊ में 1857 का विद्रोह की शुरुआत जून 1857 से हुई मानी जाती है इस क्षेत्र से विद्रोह का नेतृत्व बेगम हजरत महल ने की लखनऊ के क्षेत्र में विद्रोह को दबाने हेतु हेनरी लॉरेंस मारे गए जबकि विद्रोह को कैंपवेल के द्वारा दबाया गया बेगम हजरत महल 1857 के विद्रोह के समाप्ति के अंतिम दौर में भागकर नेपाल चली गई
  • कानपुर – 1857 का विद्रोह कानपुर में जून 1857 से हुई मानी जाती है इस क्षेत्र में विद्रोह का नेतृत्व नाना साहब ने किया नाना साहब का मूल नाम धोतुपंत था, नाना साहब के प्रमुख सलाहकार अजीमुल्ला थे | कानपुर में सैन्य नेतृत्व तात्या टोपे ने संभाला तात्या टोपे का मूल नाम रामचंद्र पांडुरंग था | तात्या टोपे अपने मित्र के धोखाधड़ी के कारण मारे गए | विद्रोह के अंतिम दौर में नानासाहेब भागकर नेपाल चले गए इस क्षेत्र में अंग्रेजी सेनापति कैंपबेल ने विद्रोह को दबाया |
  • बिहार में– बिहार में 1857 का विद्रोह की शुरुआत देवघर के रोहिणी गांव से 12 जून 1857 से हुई मानी जाती है पटना के क्षेत्र में 1857 का विद्रोह की शुरुआत 3 जून 1857 से हुई मानी जाती है | पटना के क्षेत्र में विद्रोह का नेतृत्व पुस्तक विक्रेता पीर अली के द्वारा किया गया था | पटना के पश्चात यह विद्रोह दानापुर, मुजफ्फरपुर, आरा पहुंचा पूरे बिहार विद्रोह से प्रभावित नहीं था |बिहार से विद्रोह का नेतृत्व कर्ता आरा के जगदीशपुर के जमींदार वीर कुंवर सिंह को माना जाता है उन्होंने लगभग 80 वर्ष की उम्र में नानासाहेब और रानी लक्ष्मीबाई के साथ मिलकर अंग्रेजों को कड़ी शिकस्त दी | वीर कुंवर सिंह के संघर्ष अंग्रेज अधिकारी लीग्रांड के साथ 23 अप्रैल 1857 को हुआ इस संघर्ष में वीर कुंवर सिंह ने लीग्रांड को पराजित किया इसी कारण प्रत्येक वर्ष 23 अप्रैल को विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है इस संघर्ष के दौरान ही वीर कुंवर सिंह बुरी तरह से घायल हुए कुछ ही दिनों के पश्चात उनका निधन हो गया तत्पश्चात 1857 के विद्रोह की शुरुआत कुंवर सिंह के बाद अमर सिंह ने संभाला और बिहार में 1857 के विद्रोह को दबाने का श्रेय विलियम टेलर तथा विन्सेंट आयर को जाता है |
  • झांसी और ग्वालियर– झांसी और ग्वालियर क्षेत्र से 1857 का विद्रोह का नेतृत्व रानी लक्ष्मीबाई के द्वारा किया गया है | इनका जन्म बनारस में जबकि समाधी स्थल ग्वालियर में है | इनके बचपन का नाम मनु या मनीकनिका थी | रानी लक्ष्मीबाई जनरल ह्यूरोज़ से लड़ती हुई 17 जून 1857 को मारी गई | जनरल ह्यूरोज़ ने रानी लक्ष्मीबाई को एक मर्द की संज्ञा दिया | झांसी में किस क्षेत्र में विद्रोह को दबाने का श्रेय जनरल ह्यूरोज़ को जाता है |
  • फैजाबाद (अयोध्या)– फैजाबाद (अयोध्या) क्षेत्र में 1857 का विद्रोह का नेतृत्व मौलवी अहमदुल्लाह के द्वारा किया गया यह मूल रूप से दक्षिण भारत का रहने वाला था मौलवी अहमदुल्लाह अंग्रेजी सरकार का कट्टर दुश्मन था | इस क्षेत्र में विद्रोह को दबाने का श्रेय केंपवेल को जाता है | हाल ही के दिनों में फैजाबाद का नाम बदलकर अयोध्या कर दिया गया है |
  • इलाहाबाद और बनारस– इलाहाबाद और बनारस इस क्षेत्र 1857 का विद्रोह का नेतृत्व कर्ता लियाकत अली ने किया जबकि विद्रोह को दबाने का श्रेय कर्नल नील को जाता है
1857 के विद्रोह के असफलता के कारण

  • केंद्रीय स्तर पर इसका कोई नेतृत्वकर्ता नहीं था |
  • सका कोई लक्ष्य निर्धारित नहीं था |
  • इस विद्रोह की शुरुआत भले ही सिपाहियों के द्वारा की गई हो लेकिन सिपाही वर्ग के लोग भी पूर्णता शामिल नहीं थे इस विद्रोह में अगर अवध के सिपाही विद्रोह ही था तो वहीं पंजाब और गोरखा का सिपाही अंग्रेजों का साथ दे रहा था |
  • इस विद्रोह में जहां एक और अवध के नवाब विद्रोही था तो वहीं दूसरी ओर हैदराबाद के निजाम इंदौर के होल्कर, बिहार के दरभंगा महाराज, भोपाल के राजा, कश्मीर के महाराजा, ग्वालियर के सिंधिया, इत्यादि अंग्रेजों का साथ दे रहे थे इसी घटना को लेकर लॉर्ड कैनिंग ने कहा है कि अगर 1857 के विद्रोह में देशी रियासत साथ नहीं देता तो अंग्रेजी कंपनी भारत में अपने शासन का बचाव नहीं कर पाती |
  • इस विद्रोह में शिक्षित और मध्यमवर्गीय लोग अपने आप को अलग रखें |

1857 के विद्रोह में भारतीय विद्वानों का मत

वी डी सावरकरयह सुनियोजित ढंग से किया गया प्रथम स्वतंत्र संग्राम था |
RC मजूमदारयह ना तो प्रथम, नाही राष्ट्रीय, स्वतंत्रा संग्राम था |
रामविलास शर्मायह जनजाति विद्रोह था
Sn senअगर यह राष्ट्रीय संग्राम नहीं था तो इसे सिपाही विद्रोह भी कहना गलत होगा

1857 का विद्रोह में विदेशी विद्वानों का मत

डिजरायलीयह एक राष्ट्रीय विद्रोह था
T.R Homesसभ्यता एवं बर्बरता के बीच का युद्ध है
L.E.R. रीजयह धर्मआन्द्रो का ईसाइयों के विरुद्ध युद्ध था
जेम्स आउटराम डब्ल्यू टेलरयह हिंदू और मुसलमानों का अंग्रेजो के खिलाफ षड्यंत्र था
लॉरेंसयह सैनिक सिपाही विद्रोह था

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